एक धारा ....
गुमसुम,
उछलती - बिलखती,
कूदती - फांदती,
दौड़ती,
बिना आवाज़ ....
यहाँ भीतर,
मेरे अन्दर।
शिथिल चेतना,
की शिकार।
किसी खोई हुई,
पहचान का प्रकार।
बहती निरंतर ....
यहाँ भीतर,
मेरे अन्दर ।
आश्चर्य की !!
जीवन का एक,
पर्याय यह भी।
खामोश पानी की एक धारा ।