Nov 14, 2006

खामोश पानी की एक धारा

खामोश पानी की,
एक धारा ....
गुमसुम,
उछलती - बिलखती,
कूदती - फांदती,
दौड़ती,
बिना आवाज़ ....
यहाँ भीतर,
मेरे अन्दर।

शिथिल चेतना,
की शिकार।
किसी खोई हुई,
पहचान का प्रकार।
बहती निरंतर ....
यहाँ भीतर,
मेरे अन्दर ।

आश्चर्य की !!

जीवन का एक,

पर्याय यह भी।

खामोश पानी की एक धारा ।

1 comment:

Madhuri Shinde said...

There is some good poetry on your blog but it seems u have not updated the blog for long...Keep writing:)