Jul 4, 2015

अम्मा

उन दिनों एक
विश्वास सा था कि,
छुट्टियों को तुम
बुलाती हो बहाने से. 

तुम्हे भी सुनानी होती
वो कहानियां
बांच रखी थी तुमने
जो इर्द गिर्द.

"गाय, बछड़ा, सीताराम.
खेत, चबैना, कच्चे आम.
सुबह दोपहर की सिमटती मसहरी.
रात से खेलती वो छोटी सी डिबरी."

आज याद है
तो बस,
उन चन्द कहानियों के
चीथड़ों का सुख और
तुम्हारे खिचड़ी की खुशबू.