Oct 22, 2014

दीवाली

कमरा आया आंगन को
दिवारों में टंगी 
जब सीढ़ीयॉं । 
नीली-सफ़ेदी गलियारों की 
बिछाने लगी 
जब सर्दियॉं । 
पहचानी आवाजों ने 
घर को 
जब भिगोया । 
और दिखा सुतली बम 
जब बुद्धु की माई दुकान 
तब महकी दीवाली । 

छोटी बड़ी की कश्मकश 
अठ्ठन्नी से भिड़ती 
चवन्नी की ललकार । 
रॉकेट को पकड़ती 
चटाई की किलकार । 
अनार को चिढ़ाती 
फुलझड़ी की चुगलियां । 
और आपस मे ही 
दंगल करते 
उज्जड बुलेट बम 
जब सिमटे इन दियों में 
तब खिली दीवाली ।