Mar 28, 2010

ख्वाबों के भी पर होते हैं ...

इस शहर में जहाँ
हर उड़ान की
इक अपनी
विवशता होती है .
वहां
बस ख्वाब ही तो हैं
जिनकी उच्छृंखलता का साहस
भरता है एक नयी
श्वास.
रोज़.. हर रोज़.

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