Apr 18, 2010

लकीरों की परछाईं

यह सुबह थी
या शाम ?
लकीरों की परछाईंयों
का स्वरुप बदला
ना था.
कुछ काला
कुछ सफ़ेद
कुछ स्याह सा.
बस कुछ ही
रंग बचे थे,
इन लकीरों में.
ज़िन्दगी की
बारिश के बाद.

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