May 26, 2007

सुबह का सन्नाटा

यह कैसी सुबह है?
सब शांत,
सब विरह,
सब सूना।
आख़िर वोः
आवाजें गई कहाँ?
पक्षी गए कहाँ ?
मंत्रों उचारण गए कहाँ ?
सब इतना शिथिल,
मानो बंद हवा ने,
रोक दी हो सांसें।

जैसे की निरर्थक हो जाना,
बिटिया की बिदाई के बाद।
ये कैसी सुबह है?

1 comment:

Kapil Sood said...

Good thought...Simple but nicely related to an absolutely different aspect-bidai...