रेडियो में बजते
हर गाने के साथ,
मन ने भरपूर
छलांगे मारी ।
कभी इस शहर
तो कभी उस नगर ।
गर्म हवाओं के
बहकावे में,
सालों जमी धूल भी
कुछ हल्की हुई
बौराई
तिलमिलाई ।
भर्राई
अनेक आवाजें कानों में ।
और गले में ?
इक उफ़नता सैलाब
जो बस तैयार था
सांसो को निचोड़ने में ।
खूब निकली आज
कुछ रिश्तों की टोली ।
हर गाने के साथ,
मन ने भरपूर
छलांगे मारी ।
कभी इस शहर
तो कभी उस नगर ।
गर्म हवाओं के
बहकावे में,
सालों जमी धूल भी
कुछ हल्की हुई
बौराई
तिलमिलाई ।
भर्राई
अनेक आवाजें कानों में ।
और गले में ?
इक उफ़नता सैलाब
जो बस तैयार था
सांसो को निचोड़ने में ।
खूब निकली आज
कुछ रिश्तों की टोली ।
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