बहती यादों को रोक
पूछा मैने,
आज किधर का रुख ?
उन गलियों का
जो अब सड़क बन चुकी ?
या उन मीठी आवाज़ों का
जो समय में घुल गयीं ?
यादों ने कहा
"तुम्हारे बचपन के
कुछ अंश पिघल रहे
कहो तो बटोर लाऊँ ?"
मैं बोला
उसकी क्या ज़रूरत
जो बीत गया सो
भूल गया ।
अब और आगे बढ़ना है ।
जाना है उस पार
जहाँ रोशनी का
समंदर बाहें फैलाये
कर रहा इंतज़ार ।
यादें मुस्कुरायीं,
हिचकिचायीं
और सहम कर बोलीं
"अपना ख्याल रखना"
फिर बदल लिया
अपना रुख ।
पूछा मैने,
आज किधर का रुख ?
उन गलियों का
जो अब सड़क बन चुकी ?
या उन मीठी आवाज़ों का
जो समय में घुल गयीं ?
यादों ने कहा
"तुम्हारे बचपन के
कुछ अंश पिघल रहे
कहो तो बटोर लाऊँ ?"
मैं बोला
उसकी क्या ज़रूरत
जो बीत गया सो
भूल गया ।
अब और आगे बढ़ना है ।
जाना है उस पार
जहाँ रोशनी का
समंदर बाहें फैलाये
कर रहा इंतज़ार ।
यादें मुस्कुरायीं,
हिचकिचायीं
और सहम कर बोलीं
"अपना ख्याल रखना"
फिर बदल लिया
अपना रुख ।
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